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मैंने हमेशा सुना था कि अंधेरा और सन्नाटा कभी-कभी बहुत खतरनाक होते हैं। लेकिन मुझे क्या पता था कि यह सच्चाई मेरे लिए उस रात जानलेवा साबित होगी।
राजस्थान की धूल भरी सड़कों के उस पार, अरावली पर्वतमाला के बीचो-बीच स्थित है एक प्राचीन निर्माण - भानगढ़ का किला । यह किला सदियों से न क...
छोटा सा कस्बा, जिसे सभी "शांतिपुर" के नाम से जानते थे, सुबह की हलचल में जीवंत रहता था। छोटे-छोटे घर, जिनकी दीवारें रंगीन थीं, और दरवाजे पर छोटे...
वाराणसी का एक छोटा-सा मोहल्ला, जहाँ गंगा नदी किनारे सूरज की किरणें जब सुबह के समय पानी पर पड़तीं, तो ऐसा लगता मानो...
सड़क किनारे लगी हुई चाय की दुकान पर हल्की-हल्की बारिश गिर रही थी। भीड़ कम थी, पर चाय की महक के साथ दुकान में बैठे...
रात का अंधकार हर तरफ फैला हुआ था। आकाश के चमकते तारे इतने निकट दिखते थे, मानो उन्हें हाथ से छूना संभव हो। यह दृश्य हमेशा से नीरज के लिए...
गाँव का नाम था सैदपुर। हरे-भरे खेतों, नीले आसमान, और चिड़ियों की चहचहाहट से भरा एक छोटा सा गाँव। वहाँ के लोग मेहनती थे, अपने जीवन में संतुष्ट, लेकिन कुछ सपने अधूरे थे।
गाँव की सीमा पर एक पुरानी नीम का पेड़ था, जिसके नीचे गाँव के कुछ बच्चे खेलते थे। वहीं पर एक छोटे से झोपड़े में, गाँव का विद्या, नीरज अपने पिता के साथ रहता था।
कहानी एक छोटे से शहर की है, जहाँ की गलियाँ, घर, और लोग सब कुछ एक साधारण से दिखते हैं। पर यहाँ की सादगी में ही एक गहरी कशिश छिपी हुई थी।
यह कहानी है उस गाँव की, जहाँ एक अनजान दुख ने एक माँ के दिल को छिन्न-भिन्न कर दिया। गाँव में राधा नाम की एक साधारण और मेहनती महिला रहती थी।
सर्दियों की शाम थी। अंधेरा धीरे-धीरे अपना कब्ज़ा जमा रहा था और ठंडी हवा मानो किसी अनजान डर की तरह पूरे शहर पर फैल रही थी। आरव अपने छोटे से कमरे में बैठा, किताब पढ़ने में मग्न था।
गाँव में एक सुखी परिवार था—राजू, उसकी पत्नी सुमित्रा और उनकी छोटी सी बेटी पिंकी। राजू एक साधारण किसान था, जो अपनी मेहनत से अपने परिवार का पालन-पोषण करता था।
नीति और रोहन की शादी को अभी तीन साल ही हुए थे। दोनों एक-दूसरे से प्यार करते थे, लेकिन अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा हो जाता।
भारत के एक सुदूर प्रांत में बसा एक गांव परियाना जहां के भोले भाले लोग देश दुनिया के मुद्दों से बेखबर अपने ही जीवन में मग्न रहते थे। उसी गांव में रहता था एक किसान।
अगले दिन सुबह जब रंजीत उठा, तो उसकी आंखों में हल्की बेचैनी और तनाव था। रात को जो कागजात मिले थे, वे उसके दिमाग में घूम रहे थे।
प्रहलाद एक युवा कलाकार था। वह अपनी पेंटिंग से खुश नहीं था। उसे ऐसा लगता था कि उसकी कला कुछ खास नहीं है। लोग उसकी पेंटिंग को देखकर ध्यान नहीं देते थे। वह सोचता, "क्या मैं सच में एक कलाकार हूं?"
रात का समय था। एक छोटा सा गाँव, जहाँ झोंपड़ियाँ एक कतार में खड़ी थीं। उन झोंपड़ियों में से एक में चेतन, एक गरीब आदमी...
बाबा राम चंद्र ने भीड़ के सामने खड़े होकर बोलना शुरू किया, उनकी आवाज़ में जोश और हिम्मत का रंग था। “भाइयों और बहनों,” उन्होंने कहा, “अब वक्त आ गया है कि हम अपने हक के लिए खड़े हों।
प्यारी दुनिया, मैंने अपनी ज़िंदगी में बहुत कुछ खोया है। मैंने दोस्त बनाए, लेकिन अब वे चले गए हैं। मैं इस अकेलेपन को और सहन नहीं कर सकता। मुझे लगा था कि मैं अपनी ज़िंदगी में बदलाव ला पाऊंगा।
1. राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा, 2. वट वृक्ष और उसके मित्र, 3. सम्राट अशोक का धर्म परिवर्तन, 4. रानी दुर्गावती की वीरता, 5. चाणक्य और चंद्रगुप्त मौर्य
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में भूरा नाम का एक शेर रहता था। वह बहुत ही क्रूर और खतरनाक था। हर दिन वह जंगल के जानवरों का शिकार करता और उन्हें खा जाता।